पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कार एक टैंकर से टकरा गई. टक्कर के कारण एयरबैग खुल गया. लेकिन मां की गोद में आगे की सीट पर बैठी बच्ची का चेहर एयरबैग में दब गया, जिसके कारण दम घुटने से उसकी मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि मां समेत अन्य चार यात्रियों को मामूली चोटें आईं हैं.
एक्सीडेंट के बाद एयरबैग खुला लेकिन बच्ची की दम घुटने से हो गई मौत.
एक्सीडेंट के बाद एयरबैग खुला लेकिन बच्ची की दम घुटने से हो गई मौत.
केरल के मलप्पुरम जिले में शुक्रवार को एक हैरान करने वाला सड़क हादसा हुआ. जहां एक कार के एक्सीडेंट के बाद एयरबैग खुलने के बावजूद दो साल की बच्ची की दम घुटने से मौत हो गई. पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि दुर्घटना उस वक्त हुई जब बच्ची अपने परिवार के साथ कोट्टक्कल से पदपराम्बु जा रही थी
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कार एक टैंकर से टकरा गई. टक्कर के कारण एयरबैग खुल गया. लेकिन मां की गोद में आगे की सीट पर बैठी बच्ची का चेहर एयरबैग में दब गया, जिसके कारण दम घुटने से उसकी मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि मां समेत अन्य चार यात्रियों को मामूली चोटें आईं हैं.
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एयरबैग आमतौर पर पॉलिएस्टर की तरह की मजबूत टेक्सटाइल या कपड़े से बना एक गुब्बारे जैसा कवर होता है. इसे ख़ास मैटेरियल से टेनेसिल स्ट्रेंथ (कपड़े की मजबूती) के लिए डिज़ाइन किया जाता है ताकि दुर्घटना के समय यात्रियों को सुरक्षित रखा जा सके. ये कार में किसी सेफ्टी कुशन की तरह काम करता है, जैसे ही वाहन से कोई इम्पैक्ट या टक्कर होती है ये सिस्टम एक्टिव हो जाता है.
कैसे काम करता है एयरबैग
जैसे की दुर्घटना होती है, SRS सिस्टम में पहले से ही इंस्टॉल किया गया नाइट्रोजन गैस एयरबैग में भर जाता है. ये पूरी प्रक्रिया पलक झपकते यानी कि कुछ मिली सेकंड में होती है. इसके बाद एयरबैग फूल जाता है और यात्री को एक बेहतर कुशनिंग के साथ सेफ्टी प्रदान करता है. एयरबैग में होल्स यानी कि छेद दिए जाते हैं जो कि डिप्लॉय होने के बाद गैस को बाहर निकाल देता है.
हालांकि, जानकारों का मानना है कि गाड़ी में बैठते वक्त सीट वेल्ट जरूर लगाना चाहिए. सीट बेल्ट लगाने पर जब एयरबैग खुलता है तो यात्री को चोट लगने की संभावना कम होती है, जबकि सीट बेल्ट न लगाने पर चोट ज्यादा लग सकती है.
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